श्री राजीव दीक्षित जी- एक परिचय
एक चेतावनी!समय रहते जागेंगे तभी हमारी आने वाली पीढ़ी देख पाएगी विरासत ---
क्योंकि आप ही होंगे वो जिनकी वजह से आपकी आने वाली पीढ़ी को गुलामी की ज़िंदगी जीनी पढ़ेगी अगर आप नहीं जागते तो... क्यूंकि आप ही हैं वो जिनके पेट का पानी तक नहीं हिलता जब आपके द्वारा चुने गए आपके प्रतिनिधि आपकी खून पसीने की कमाई में से दिये हुए TAX का 92% लूट कर विदेशों में रख आते हैं...इस 65 साल पूरानी बंदर बाँट को देख देख कर शायद आप शांत बैठ सकते हैं लेकिन आपकी आने वाली पीढ़ी नहीं.. और एक बात आप जान लें... आप अगर इस मत के हैं की भाग्य से बढ़कर और समय से पहले कुछ नहीं मिलता तो माफ कीजीए आपकी भाग्यवादी सोच आपको निकम्मा बना रही है और कुछ नहीं ।
एक मिनट के लिए ज़रा कल्पना कीजीए कि अगर उन सब शहीदों कि आत्मा आज फिर भारत में आ जाए तो उनको कितनी तकलीफ होगी अपने देश कि दुर्व्यवस्था को देख कर और कितनी हसी आएगी हमारे पाखंड और हमरी बहानेबाज़ी पर... शायद वे कहें कि या तो हम मूर्ख थे या तुम महा मूर्ख हो जो अब तक अंग्रेज़ों के स्वार्थ के लिए बनाए हुए कानूनों को और यहा तक कि अंग्रेजों के स्वार्थ को ध्यान में रखते हुए बनाया गया संविधान जो कि हमारे देश को गुलाम बनाने के लिए बनाया गया था वो आज तक तुम ढोते चले आ रहे हो...
अगर हम वास्तव में आज़ाद होते तो अंग्रेज़ों का शुरू किया हुआ FREE TRADE आज GLOBALIZATION के रूप में पेश न किया होता Manmohan Singh जैसे Intellectual Prostitute ने..
दुनिया भर के विकासशील देशों के राष्ट्रपतियों ने भारत को चेतावनी दे कर थक चुके हैं कि जितनी जल्दी हम इस रास्ते पर चलना बन्द करदे उतना अच्छा नहीं तो भारत का जो हाल होगा उसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता ।
- जिस भारत का निर्यात दुनिया के बाज़ार में कभी 33% हुआ करता था आज उसी भारत का निर्यात पूरी दुनिया में 0.52% से भी कम है...
- जिस भारत में कभी हर घर में टनो टन सोने के सिक्के भरे पढे रहते थे आज उसी भारत के 121 करोड़ लोगों में से 90 करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास एक दिन एन खर्च करने के लिए 20 रुपये भी नहीं हैं...
- फिर वो ही बेदर्दी सरकारे उन 90 करोड़ लोगों को 15 रुपये का एक किलो “IODIZED” नमक बेचती हैं जो कि बनता सिर्फ 20 पैसे किलो में है ...
- जिस भारत के ऊपर 1947 में एक नए पैसे का विदेशी कर्ज़ नहीं था आज उसी भारत का बच्चा बच्चा कम से कम 65000 रुपये का कर्जदार है... और एक बात जो यहा ध्यान देने की है वो ये की ये सारा तमाशा विकास के नाम पर होता है...
- जो भारत 3,000 सालों से निर्यात प्रधान देश रहा आज उसी भारत का आयात हर साल 15-17 लाख करोड़ तक का है..
और जब हम इन सब बातों को जान कर भी अपनी सुविधाओं को अपने उसूलों से ज़्यादा एहमीयत देते हैं और अपने जीवन को खूब मज़े से व्यतीत करते हैं तब मेरे जैसे लोगों के मन में एक गंभीर सवाल आता है कि क्या अब भारत देश भारतवासियों के लिए बस एक धरमशाला और विदेशियों के लिए एक बाज़ार बन चुका है ??? -जिस भारत को सोने की चिढ़िया कहती आई है पूरी दुनिया आज उसी भारत पर आज अज्ञानियों का दल शासन करता है और शायद उसी का परिणाम है कि आज विकास के लिए खर्च किये गये हर एक रुपये में से 92 पैसे से ज़्यादा लूट लिया जाता(Comptroller and Auditor General of India के 2010 के आंकड़ों के हिसाब से) और उसके बावजूद हुमें बताया जाता है भारत विकासशील से विकसित देश बनने कि राह पर है..... ज़रा सोचिए कि कितनी गहरी नींद में हमें सुला रखा है हमारे देशी की बांझ सरकारों ने ?
अर्थशास्त्र का एक छोटा सा सर्वमान्य सिद्धान्त है- जिस देश की जनता सो जाती है उस देश का इतिहास अपने आप को फिर दौहराता है.
यहा पर "सोयी हुई जनता" हम सब हैं और "इतिहास" है 1492- 1947 तक का...
और मनोविज्ञान का भी एक छोटा सा सिद्धान्त है कि जब एक झूठ को बार बार और लगातार बोला जाता है तो वो ही झूठ सच लगने लगता है...
यहा पर वो "झूठ" है कि भारत एक आज़ाद देश है...
और इन सब बातों के पीछे कोई नारे नहीं हैं न ही ये सब बातें भावुक होकर बोली गयी हैं.... इन सब के पीछे ठोस सच्चाइयाँ और खरे सबूत हैं...
आप सोचेंगे की कौन है इतना दिलदार और दीवाना अपने देश के लिए कि career छोड़ कर क्रान्ति लाएगा...???
भारत के खिलाफ हो रहे सब षड्यंत्रों और साज़िशों को जानने के लिए ही भगवान ने हम पर एक कृपा 1967 में की थी । राजीव दीक्षित नाम का नौजवान इस देश को प्रदान करके।
इस बंदे ने उन सब सबूतों पर 25 साल तक गहन अध्ययन किया और उनको विश्लेषित रूप में देश के सामने रखा 12000 से अधिक व्याख्यान दे कर... जिस उद्देश्य को लेकर ये इंसान भारत में आया वो उद्देश्य दुर्भाग्य से पूरा नहीं हो सका.. और वो उद्देश्य था INDIA को भारत बनाना जिसका सपना आज हर भारतवासी देखता है.. राजीव दीक्षित जी ने हर उस समस्या का समाधान दिया है जिस समस्याओं में आज भारत घिरा हुआ है... जिन सच्चाईयों को आज हम कहने से पहले 10 बार सोचते हैं उन सब सच्चाईयों को राजीव भाई 25 सालों तक निडरता से बोलते रहे प्रमाण के साथ...राजीव भाई के मूह से कोई बात बिना सबूत के नहीं निकली आज तक.... और इसलिए जिस क्रान्ति का सपना भी देखने से आज हम डरते हैं उस क्रान्ति की शुरुवात राजीव भाई ने 1991 में शुरू कर दी थी...
आप पूछेंगे की अब तक हमें क्यों नहीं पता था इस आदर्श के बारे में.. उसका सीधा सीधा जवाब ये है कि आपने विदेशियों को ही अपना आदर्श मान लिया है और जो INDIAN MEDIA दिखाता था वो ही आपके लिए पत्थर कि लकीर बन जाता है... आपने अक्सर सुना होगा कि EVERY NEWS IS A PAID NEWS... बस एक ये ही कारण है राजीव दीक्षित जैसे ईमानदार देशभक्त की आवाज़ आजतक आपके कानो तक न पहुँच पाने का...
65 साल की बरबादी देख कर ये सिद्ध होता है कि विकास के चोगे में लुटेरी राजनैतिक पार्टियाँ और विदेशी कम्पनियाँ सिर्फ बंदर बाँट के सिद्धान्त पर अपने घर ही भरती हैं और जाने अंजाने आप के ही पैसे से आपको मारने का काम चलता है आपके सामने जिसको आप एक गुलाम की तरह सहन लेते हैं..जबकि ये सब तो अंग्रेजों के जमाने में होता था ।
इसी लिए मेरा मानना है कि कभी तो कोई सही राह दिखाने वाला चाहिए ही होगा... कभी तो निस्वार्थ भाव से इस अच्छा न दिखने वाले भारत को खड़ा करने वाला चाहिए ही होगा... जिसको आम आदमी के दर्द का और भारत की समस्याओं की गहरी समझ हो.. जिसको आपकी हर समस्या की गंभीरता का अंदाज़ा हो...
ज़रूरी नहीं की जिस दिन भारत Somalia बन जाएगा उसी दिन आप जागेंगे और ढूंदेंगे उस इंसान को ईमानदारी से आपको आपकी सभी समस्याओं का समाधान बताए...
माना हमारे बीच आज वो इंसान नहीं है जो इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने में आपका साथ दे लेकिन हम सब इतने भी कमनसीब नहीं.. क्युंकि हमारे पास उस इंसान के विचार तो हैं...इस इंसान का एक एक व्याख्यान लगभग 25000 दस्तावेज़ो का निचोड़ है.. ये वो इंसान है जो तर्क-तथ्य-प्रमाण की कसौटी पर खरा चिंतन करते हुए 25 साल तक टिका रहा... लेकिन आप तक इसकी आवाज़ नहीं पहुंचाई गयी..कारण है दोगला INDIAN मीडिया..
आप समाज के जिस भी वर्ग के हिस्से हैं, जितने भी पैसे वाले हैं इससे फरक नहीं पढ़ता.. अगर सो कर जीयेंगे तो आपको गुलाम बनने से कोई नहीं रोक सकता..इसलिए अगर चाहते हैं कि आपकी आने वाली पीढ़ी 520 साल पुरानी गुलामी में न जीए और आधुनिकरण के नाम पर अश्लीलिकरण को अपना आदर्श न मानले तो आपसे मेरी विनम्र विनती(HUMBLE REQUEST) है कि हर महीने के 720 घंटो में से केवल 4 घंटे ही दिजीए इन व्याख्यानों को सुनने के लिए और अपने साथ अपने भाई बंधुओं को भी सुनाये..
...क्योंकि हमारे वेदो और उपनिषदों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने दुख दूर करता है और दूसरों के दुखो को दूर करने के काम में लगता है मोक्ष उसी को होता है..
आप सुने तो बहुत अच्छा.... अगर नहीं सुनते तो आपकी आने वाली पीढ़ी तो ज़रूर सुनेगी क्योंकि उनको ऐसी गुलामी उनकी बर्दाश्त से बाहर होगी और इसलि ए शायद आपको गालियां देगी आपकी निष्क्रियता और पाखंड के लिए ।
घर बैठ कर बिना एक पैसा खर्चे अपने देश को बचाए रखने की इस लढाई में एक शहीद के व्याख्यान सुनने से ज़्यादा आसान योगदान हमारी तरफ से और कुछ नहीं हो सकता ।
अगर मैं अतिश्योंक्ति(exaggerate) न करूँ तो अगर मोक्ष आपकी demand है तो इन व्याख्यानों को सुने क्योंकि आज के time में राजीव भाई के व्याख्यान सुनना और सुनाने से बढ़ा पुण्य का काम कोई दूसरा हो नहीं सकता...
अमर शहीद राजीव दीक्षित के अधिकतम उपलब्ध व्याख्यानों को नि:शुल्क पाने के लिए लिंक-
- sdrv.ms/SvnoxH( सभी व्याख्यानों का audio version)
- www.rajivdixit.com
- www.youtube.com/user/TheDhruvsahni
- http://www.youtube.com/user/SriRajivDixitVideos
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