रविवार, 16 जून 2013

काला धन--- श्री राजीव भाई जी


300 लाख करोड़ रूपये का काला धन---

► स्विस बैंक में भारत के बेइमान व भ्रष्ट लोग जो नाममात्र के है उनका 300 लाख करोड़ रूपये का काला धन जमा है|

► यदि 300 लाख करोड़ रूपये का काला धन भारत आ जाये तो भारत के 626 जिलों के विकास के लिए एक जिले को 50,000 करोड़ रुपये मिलेंगे|
► यदि यह पैसा (300 लाख करोड़ रुपये) भारत आ जाये एवं एक जिले में 500 गाँव है तो एक गाँव को विकास के लिए 100 करोड़ रुपये मिलेंगे| सोचिए एक गाँव का 100 करोड़ में कितना विकास हो सकता है|
► यह 300 लाख करोड़ रुपये भारत आ सकते है यदि देश की संसद कानून बनाकर राष्ट्र की संपति घोषित कर देवे| चूंकि काला धन अवैध रुप से कमाया गया है इस कारण उसे राष्ट्र की संपति घोषित कर जप्त की जा सकती है|

► अमेरिका ने स्विस बैंक में जमा अपने देश का काला धन वापस मँगवा लिया है| अमेरिका की बैंक लगातार दिवालिया हो रही थी तथा अर्थव्यवस्था उक्त काला धन वापस मँगवा कर ठीक किया है| बराक ओबामा के चुनावी मुद्दे में यह काला धन वापस लाने का भी मुद्दा था जो उन्होने पूरा किया|
► काले धन की जानकारी ट्रैन्सपेरन्सी इन्टरनेशनल टैक्स जस्टिस नेटवर्क आदि से प्राप्त हुई है| यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि स्विस बैंक में सबसे ज्यादा काला धन भारतीय भ्रष्ट लोगो का जमा है|
► स्विस बैंक के डायरेक्टर ने भी स्वीकार किया है कि भारतीयों का सबसे ज्यादा पैसा जमा है|
► 300 लाख करोड़ इक बार लिखकर तो देखें 300,00,0000,0000000/- एक आदमी के हिस्से 25 लाख रुपये|
► 300 लाख करोड़ रुपये का काला धन 100/- 200/- की रिश्वत की राशि से नहीं लूटी गई है| यह लूट प्राकृतिक संसाधन,बडी खरीदी आदि से लूट कर स्विस बैंक में जमा कराई गई है| जिसका एक ताजा उदाहरण 172000 करोड़ रुपये का ताजा तरीन “ स्पेक्ट्रम घोटाला” है|

विश्व की 5 महाशक्ति देशो के स्वदेशी प्रयोग

आज विदेशी कम्पनी की लूट बंद करने का सबसे कारगर उपाय स्वदेशी और असहयोग है ---

विश्व की 5 महाशक्ति जापान अमेरिका फ्रांस रुस चीन ने विदेशी गुलामी से निजात पाने और अपने देश को शक्तिशाली बनाने में मात्र इस कारण से सफल रहे कि उनके देश के लोगो ने प्रण किया कि वह जो भी वस्तु प्रयोग करेंगे |
स्वदेशी वस्तु का प्रयोग करने से सबसे बडा लाभ यह है कि जो बडी बडी विदेशी कंपनी लुट रही है उनकी आर्थिक मदद कम होते होते बंद हो जाती है जिस कारण से उनका उस देश में व्यापार चलाने में कोई लाभ नही रहता जिस कारण से वह अपना कारोबार समेट लेती है और लुट बंद हो जाती है | विदेशी कंपनी तब तक ही टिकी रहती है जब तक उन्हें लाभ प्राप्त होता रहे |
विश्व कि महाशक्ति जापान मे भी यह स्वदेशी आंदोलन चला | 250 वर्ष पहले जापान भी राजा की गलतियों के कारण 5-6 देशों की गुलामी के दुष्च्रक में फँस गया तब 1858 में मैजी के नेत्रत्व में आंदोलन चला तब विदेशी फौजो ने उनका आंदोलन सैनिक युद्ध में दबा दिया तब उन्होने "स्वदेशी वस्तुओ" का प्रयोग का आंदोलन शुरु किया और जापान स्वत्रंत हो गया |

आज भी जापानी दूध की चाय नही पीते क्योंकि उनके यहाँ दूध का उत्पादन कम है और स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग के कारण से दूध दूसरे देश से नही मंगाते | उनकी स्पष्ट मान्यता है कि जो उनके देश में उपलब्ध है उसका ही प्रयोग करेंगे |
1858 में मैजी द्वारा क्रांति शुरुआत करने के बाद 2009 तक जापान ने बहुत तरक्की की क्योंकि उन्होने तकनीकी सीखी परन्तु स्वंय की स्वदेशी भाषा जापानी में सीखी| जापान में बचपन से पढाया जाता है कि जापानी होना क्या है ? स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग से क्या लाभ है |
अमेरिका भी अग्रेजों का गुलाम था| जार्ज वॉशिंगटन के नेत्रत्व में 1776 में आज़ादी का आंदोलन शुरु हुआ जिसमे अँग्रेज़ी वस्तुओ का सम्पूर्ण बहिष्कार तथा स्वदेशी वस्तुओ का प्रयोग का संकल्प बडी बडी सभाओं में किया जाने लगा| लोगो में सिर्फ स्वदेशी वस्तुओ के प्रयोग की भावना कूट कूट के भर गई कि बहुत ठंड पढने पर भी गर्म अमेरिकी कपडा नहीं मिला तो उन्होने नहीं पहना और हजारों व्यक्ति ठंड से ठिठुर कर मर गये पर अंग्रेजी वस्र्त नहीं पहना| अमेरिका स्वदेशी की भावना से ही स्वत्रंत हुआ और सर्वोच्य शक्ति बना है |

आर्य बाहर से नही आये, भारत के हैं मूल निवाशी - श्री राजीव दीक्षित


  • सबसे बडा झूठ इतिहास मे डाला गया आर्य भारत में बाहर से आये थे | 

  • सारी दुनिया में शोध हो चुका है, डीएनए परीक्षण से सिद्ध हो गया कि आर्य भारत के मुल निवासी थे| फ़िर भी इतिहास में आज भी यह पढाया जाता है |

  • इतिहास मे भारतवासी गाय का मांस खाते थे आज भी वर्णित है जिसे नहीं हटाया | जिस देश में गौ रक्षा आंदोलन चले मंगल पांडे अँग्रेज मेजर ह्युस्टन को गोली गाय के चर्बी मिले कारतूस के कारण गोली मारी हो उस देश के लोग गाय का मांस कैसे खा सकते है |
  • भारतवासी गरीब अशिक्षित असभ्य सपेरो का देश पुरी दुनिया में बताया गया और आज भी बताया जाता है जबकि इसके विपरीत मैकाले ने 2 फ़रवरी 1835 में बिट्रिश संसद में भाषण दिया था कि मै भारत में पुर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण घुमा मुझे भारत में कोई व्यक्ति गरीब नहीं मिला | यदि भारत के लोग गरीब नही मिला कोई बीमार भी नही मिला | यदि भारत के लोग गरीब थे तो अँग्रेज यहाँ क्यों आते |
  • इतिहास में महाराजा रणजीत सिंह को डाकू चन्द्रशेखर आजाद भगत सिंह बटकेश्वर दत्त को आज भी आतंकवादी पढाया जाए इस गुलामी को हटाना चाहिए |
  • हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया जा सका जबकि महात्मा गाँधीजी की सार्वजनिक घोषणा थी कि आजादी मिलते ही सर्वप्रथम हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करवाउगा|
  • हमारे देश मे मैकॉले के द्वारा जो विषय तै किये गए उनमे से एक था इतिहास विषय| जिसमे मैकौले ने यह कहा के भारतवासियों को उनका सच्चा इतिहास नहीं बताना है क्योंकि उनको गुलाम बनाके रखना है, इसलिए इतिहास को विकृत करके भारत मे पड़ाया जाना चाहिए| तो भारत के इतिहास पूरी तरह से उन्होंने विकृत कर दिया|


    सबसे बड़ी विकृति जो हमारे इतिहास मे अंग्रेजो ने डाली जो आजतक ज़हर बन कर हमारे खून मे घूम रही है, वो विकृति यह है के “ हम भारतवासी आर्य कहीं बहार से आयें|” सारी दुनिया मे शोध हो जुका है के आर्य नाम की कोई जाती भारत को छोड़ कर दुनिया मे कहीं नही थी; तो बाहार से कहाँ से आ गए हम ? फिर हम को कहा गया के हम सेंट्रल एशिया से आये मने मध्य एशिया से आये| मध्य एशिया मे जो जातियां इस समय निवास करती है उन सभि जातियों के DNA लिए गए, DNA आप समझते है जिसका परिक्षण करके कोई भी आनुवांशिक सुचना ली जा सकती है| तो दक्षिण एशिया मे मध्य एशिया मे और पूर्व एशिया मे तीनो स्थानों पर रेहने वाली जातिओं के नागरिकों के रक्त इकठ्ठे करके उनका DNA परिक्षण किया गया और भारतवासियो का DNA परिक्षण किया गया| तो पता चला भारतवासियो का DNA दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पूर्व एशिया के किसी भी जाती समूह से नही मिलता है तो यह कैसे कहा जा सकता है की भारतवासी मध्य एशिया से आये, आर्य मध्य एशिया से आये ?

    इसका उल्टा तो मिलता है की भारतवासी मध्य एशिया मे गए, भारत से निकल कर दक्षिण एशिया मे गए, पूर्व एशिया मे गए और दुनियाभर की सभि स्थानों पर गए और भारतीय संस्कृति, भारतीय सभ्यता और भारतीय धर्म का उन्होंने पूरी ताकत से प्रचार प्रसार किया| तो भारतवासी दूसरी जगह पे जाके प्रचार प्रसार करते है इसका तो प्रमाण है लेकिन भारत मे कोई बाहार से आर्य नाम की जाती आई इसके प्रमाण अभीतक मिले नही और इसकी वैज्ञानिक पुष्टि भी नही हुई| इतना बड़ा झूट अंग्रेज हमारे इतिहास मे लिख गए, और भला हो हमारे इतिहासकारों का उस झूट को अंग्रेजों के जाने के 65 साल बाद भी हमें पड़ा रहे है|

    अभी थोड़े दिन पहले दुनिया के जेनेटिक विशेषज्ञ जो DNA RNA आदि की जांच करनेवाले विशेशाज्ञं है इनकी एक भरी परिषद् हुई थी और वो परिषद् का जो अंतिम निर्णय है वो यह कहता है के “ आर्य भारत मे कहीं बहार से नही आये थे, आर्य सब भारतवासी हि थे जरुरत और समय आने पर वो भारत से बहार गए थे|”

    अब आर्य हमारे यहाँ कहा जाता है श्रेष्ठ व्यक्ति को, जो भी श्रेष्ठ है वो आर्य है, कोई ऐसा जाती समूह हमारे यहाँ आर्य नही है| हमारे यहाँ तो जो भी जातिओं मे श्रेष्ठ व्यक्ति है वो सब आर्य माने जाते है, वो कोई भी जाती के हो सकते है, ब्राह्मण हो सकते है, क्षत्रिय हो सकते है, शुद्र हो सकते है, वैश्य हो सकते है| किसी भी वर्ण को कोई भी आदमी अगर वो श्रेष्ठ आचरण करता है हमारे उहाँ उसको आर्य कहा जाता है, आर्य कोई जाती समूह नही है, वो सभि जाती समूह मे से श्रेष्ठ लोगों का प्रतिनिधित्व करनेवाला व्यक्ति है| ऊँचा चरित्र जिसका है, आचरण जिसका दूसरों के लिए उदाहरण के योग्य है, जिसका किया हुआ, बोला हुआ दुसरो के लिए अनुकरणीय है वो सभि आर्य है|

    हमारे देश मे परम श्रेधेय और परम पूज्यनीय स्वामी दयानन्द जैसे लोग, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चन्द्र बोसे, उधम सिंह, चंद्रशेखर, अस्फाकउल्ला खान, तांतिया टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई, कितुर चिन्नम्मा यह जितने भी नाम आप लेंगे यह सभि आर्य है, यह सभि श्रेष्ठ है क्योंकि इन्होने अपने चरित्र से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किये हैं| इसलिए आर्य कोई हमारे यहाँ जाती नहीं है| रजा जो उच्च चरित्र का है उसको आर्य नरेश बोला गया, नागरिक जो उच्च चरित्र के थे उनको आर्य नागरिक बोला गया, भगवान श्री राम को आर्य नरेश कहा जाता था, श्री कृष्ण को आर्य पुत्र कहा गया, अर्जुन को कई बार आर्यपुत्र का संबोधन दिया गया, युथिष्ठिर, नकुल, सहदेव को कई बार आर्यपुत्र का सम्बोधन दिया गया, या द्रौपदी को कई जगह आर्यपुत्री का सम्बोधन है| तो हमारे यहाँ तो आर्य कोई जाती समूह है हि नही, यह तो सभि जातियों मे श्रेष्ठ आचरण धारण करने वाले लोग, धर्म को धारण करने वाले लोग आर्य कहलाये है| तो अंग्रेजों ने यह गलत हमारे इतिहास मे डाल दिया|

    आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसलिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
    वन्देंमातरंम्
    भारत माता कि जय...

परिवर्तन- श्री राजीव भाई जी

परिवर्तन जब होता है तो शुरु मे किसी को भरोसा नहीं होता है लेकिन बाद मे हो जाता है---

विश्व के 70 से अधिक देशो में परिवर्तन हुआ पर परिवर्तन के आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब भ्रष्टाचार चरम बिन्दु पर था, विदेशी लूट चरम बिन्दु पर थी, परन्तु जब आन्दोलन की शुरुआत हुई तो किसी को विश्वास नही हुआ, परन्तु सभी देशो ने अपने आंदोलनो से सफ़लता प्राप्त की| स्वयं अपना भारत देश भी इसका उदाहरण है कि अंतत: अँग्रेजो कि गुलामी से आजाद हुआ किसे भरोसा था कि अँग्रेज जिनका सूरज कभी अस्त नहीं होता उससे भारत देश आजाद होगा पर हो गया |

जापान मे 1858 में मैजी के नेत्रत्व में 5-6 देशो की गुलामी से बाहर निकलने का आंदोलन शुरु हुआ तो उन देशो कि सेना ने हमला कर मैजी व साथियो को दबोचना शुरु किया परन्तु सैनिक युद्ध में हारने के बाद मात्र स्वदेशी वस्तुओ का प्रयोग करने के संकल्प से जापान आज आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरा है | यह कोई कैसे विश्वास कर सकता है कि 1945 मे हिरोशिमा व नागासाकी शहर परमाणु बम नष्ट होने के बाद भी आर्थिक रुप से महाशक्ति हो गया| इस पर्रिवर्तन पर शुरु में किसी को विश्वास नही था पर हो गया|
अमेरिका के 11 करोड़ मूल रेड इंडियन नागरिक को स्पेनिश व अग्रेजो ने हमला कर करके मार डाला तथा 1765 में गुलामी के दौरान अमेरिकी नागरिकों पर टैक्स बहुत बढा दिया गया जिस कारण अमेरिकी मुल नागरिक बहुत गरीब हो गये| 1776 आते आते जार्ज वॉशिंगटन के नेत्रत्व मे आजादी आंदोलन शुरु हुआ| शुरु में किसी को विश्वास नही था अमेरिका स्वतंत्र होगा पर हो गया | रुस के राजा निकोलस जार के प्रथम विश्व युद्द 1914 में हारने के बाद काफी आर्थिक हानि हुई जिस कारण रुबल की अनाधुन छपाई हुई जिससे मुद्रा स्फीति बढ ग़ई ,लोग गरीब हो गए | 1916 मे लेलिन के नेत्रत्व में आंदोलन शुरु किया जार को गद्दी से उतार कर फांसी दे दिया| शुरु में किसी को विश्वास नही था कि ‘जार’ के शासन का अंत हो जायेगा पर 2 हो गया |
चीन मे अँग्रेज सैनिक युद्द में सफ़ल नही होने पर ‘अफीम’ खिला खिला कर नशे का गुलाम बनाकर कब्जा किया| परन्तु जब कम्युनिस्ठो के द्वारा व्यसन मुक्ती आंदोलन,स्वदेशी आंदोलन शुरु किया तब किसी को विश्वास नहीं था चीन सफल होगा क्योंकि संपूर्ण युवा नशे में गुलाम था पर हो गया और चीन आज महाशक्ति के रुप मे उभरा हैं |
फ़्रांस में भी लुई-16 के गलत नीति के विरोध में आंदोलन शुरु हुआ और सफल हुआ जिस पर पहले किसी ने विश्वास नही किया पर हुआ|
और अंतिम में पुर्वी जर्मनी और पश्चिम जर्मनी एक दूसरे के कट्टर विरोधी , फुटी आँख से भी एक दूसरे को सुहाते नही थे| किसे पता था या किसे विश्वास था कि दोनो एक हो जाएँगे और दिवार ढ़ह जायेगी| पर हो गया जर्मनी एकीकरण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि किसी परिवर्तन मे किसी को विश्वास नहीं होता पर वो होता है |

श्री राजीव दीक्षित जी- एक परिचय (भाग २)

श्री राजीव दीक्षित जी- एक परिचय 

एक चेतावनी!समय रहते जागेंगे तभी हमारी आने वाली पीढ़ी देख पाएगी विरासत ---


२१सदी के गुलाम भारत में क्रान्ति लाने की ताकत है इन कुछ घंटो के व्याख्यानों में । २१वी सदी के गुलाम भारत के लिए वरदान ये व्याख्यान INDIA को फिर से भारत बनाने के लिए आप तक पहुंचाए गए हैं । ले दे के बात ये है कि कब तक हम विदेशी पूंजी और काले अंग्रेजों- आज के नेता के लूटे हुए धन से पोषित MEDIA के भरोसे या ईश्वर या अपने भाग्य के भरोसे बैठ कर गुलाम की तरह जीना चाहते हैं ?

क्योंकि आप ही होंगे वो जिनकी वजह से आपकी आने वाली पीढ़ी को गुलामी की ज़िंदगी जीनी पढ़ेगी अगर आप नहीं जागते तो... क्यूंकि आप ही हैं वो जिनके पेट का पानी तक नहीं हिलता जब आपके द्वारा चुने गए आपके प्रतिनिधि आपकी खून पसीने की कमाई में से दिये हुए TAX का 92% लूट कर विदेशों में रख आते हैं...इस 65 साल पूरानी बंदर बाँट को देख देख कर शायद आप शांत बैठ सकते हैं लेकिन आपकी आने वाली पीढ़ी नहीं.. और एक बात आप जान लें... आप अगर इस मत के हैं की भाग्य से बढ़कर और समय से पहले कुछ नहीं मिलता तो माफ कीजीए आपकी भाग्यवादी सोच आपको निकम्मा बना रही है और कुछ नहीं ।
एक मिनट के लिए ज़रा कल्पना कीजीए कि अगर उन सब शहीदों कि आत्मा आज फिर भारत में आ जाए तो उनको कितनी तकलीफ होगी अपने देश कि दुर्व्यवस्था को देख कर और कितनी हसी आएगी हमारे पाखंड और हमरी बहानेबाज़ी पर... शायद वे कहें कि या तो हम मूर्ख थे या तुम महा मूर्ख हो जो अब तक अंग्रेज़ों के स्वार्थ के लिए बनाए हुए कानूनों को और यहा तक कि अंग्रेजों के स्वार्थ को ध्यान में रखते हुए बनाया गया संविधान जो कि हमारे देश को गुलाम बनाने के लिए बनाया गया था वो आज तक तुम ढोते चले आ रहे हो...
अगर हम वास्तव में आज़ाद होते तो अंग्रेज़ों का शुरू किया हुआ FREE TRADE आज GLOBALIZATION के रूप में पेश न किया होता Manmohan Singh जैसे Intellectual Prostitute ने..
दुनिया भर के विकासशील देशों के राष्ट्रपतियों ने भारत को चेतावनी दे कर थक चुके हैं कि जितनी जल्दी हम इस रास्ते पर चलना बन्द करदे उतना अच्छा नहीं तो भारत का जो हाल होगा उसकी कल्पना कोई नहीं कर सकता ।


  • जिस भारत का निर्यात दुनिया के बाज़ार में कभी 33% हुआ करता था आज उसी भारत का निर्यात पूरी दुनिया में 0.52% से भी कम है...
  • जिस भारत में कभी हर घर में टनो टन सोने के सिक्के भरे पढे रहते थे आज उसी भारत के 121 करोड़ लोगों में से 90 करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास एक दिन एन खर्च करने के लिए 20 रुपये भी नहीं हैं...
  •  फिर वो ही बेदर्दी सरकारे उन 90 करोड़ लोगों को 15 रुपये का एक किलो “IODIZED” नमक बेचती हैं जो कि बनता सिर्फ 20 पैसे किलो में है ...
  • जिस भारत के ऊपर 1947 में एक नए पैसे का विदेशी कर्ज़ नहीं था आज उसी भारत का बच्चा बच्चा कम से कम 65000 रुपये का कर्जदार है... और एक बात जो यहा ध्यान देने की है वो ये की ये सारा तमाशा विकास के नाम पर होता है...
  • जो भारत 3,000 सालों से निर्यात प्रधान देश रहा आज उसी भारत का आयात हर साल 15-17 लाख करोड़ तक का है..

और जब हम इन सब बातों को जान कर भी अपनी सुविधाओं को अपने उसूलों से ज़्यादा एहमीयत देते हैं और अपने जीवन को खूब मज़े से व्यतीत करते हैं तब मेरे जैसे लोगों के मन में एक गंभीर सवाल आता है कि क्या अब भारत देश भारतवासियों के लिए बस एक धरमशाला और विदेशियों के लिए एक बाज़ार बन चुका है ??? -जिस भारत को सोने की चिढ़िया कहती आई है पूरी दुनिया आज उसी भारत पर आज अज्ञानियों का दल शासन करता है और शायद उसी का परिणाम है कि आज विकास के लिए खर्च किये गये हर एक रुपये में से 92 पैसे से ज़्यादा लूट लिया जाता(Comptroller and Auditor General of India के 2010 के आंकड़ों के हिसाब से) और उसके बावजूद हुमें बताया जाता है भारत विकासशील से विकसित देश बनने कि राह पर है..... ज़रा सोचिए कि कितनी गहरी नींद में हमें सुला रखा है हमारे देशी की बांझ सरकारों ने ?

अर्थशास्त्र का एक छोटा सा सर्वमान्य सिद्धान्त है- जिस देश की जनता सो जाती है उस देश का इतिहास अपने आप को फिर दौहराता है.
यहा पर "सोयी हुई जनता" हम सब हैं और "इतिहास" है 1492- 1947 तक का...
और मनोविज्ञान का भी एक छोटा सा सिद्धान्त है कि जब एक झूठ को बार बार और लगातार बोला जाता है तो वो ही झूठ सच लगने लगता है...

यहा पर वो "झूठ" है कि भारत एक आज़ाद देश है...
और इन सब बातों के पीछे कोई नारे नहीं हैं न ही ये सब बातें भावुक होकर बोली गयी हैं.... इन सब के पीछे ठोस सच्चाइयाँ और खरे सबूत हैं...

आप सोचेंगे की कौन है इतना दिलदार और दीवाना अपने देश के लिए कि career छोड़ कर क्रान्ति लाएगा...???


भारत के खिलाफ हो रहे सब षड्यंत्रों और साज़िशों को जानने के लिए ही भगवान ने हम पर एक कृपा 1967 में की थी । राजीव दीक्षित नाम का नौजवान इस देश को प्रदान करके।
इस बंदे ने उन सब सबूतों पर 25 साल तक गहन अध्ययन किया और उनको विश्लेषित रूप में देश के सामने रखा 12000 से अधिक व्याख्यान दे कर... जिस उद्देश्य को लेकर ये इंसान भारत में आया वो उद्देश्य दुर्भाग्य से पूरा नहीं हो सका.. और वो उद्देश्य था INDIA को भारत बनाना जिसका सपना आज हर भारतवासी देखता है.. राजीव दीक्षित जी ने हर उस समस्या का समाधान दिया है जिस समस्याओं में आज भारत घिरा हुआ है... जिन सच्चाईयों को आज हम कहने से पहले 10 बार सोचते हैं उन सब सच्चाईयों को राजीव भाई 25 सालों तक निडरता से बोलते रहे प्रमाण के साथ...राजीव भाई के मूह से कोई बात बिना सबूत के नहीं निकली आज तक.... और इसलिए जिस क्रान्ति का सपना भी देखने से आज हम डरते हैं उस क्रान्ति की शुरुवात राजीव भाई ने 1991 में शुरू कर दी थी...

आप पूछेंगे की अब तक हमें क्यों नहीं पता था इस आदर्श के बारे में.. उसका सीधा सीधा जवाब ये है कि आपने विदेशियों को ही अपना आदर्श मान लिया है और जो INDIAN MEDIA दिखाता था वो ही आपके लिए पत्थर कि लकीर बन जाता है... आपने अक्सर सुना होगा कि EVERY NEWS IS A PAID NEWS... बस एक ये ही कारण है राजीव दीक्षित जैसे ईमानदार देशभक्त की आवाज़ आजतक आपके कानो तक न पहुँच पाने का...


65 साल की बरबादी देख कर ये सिद्ध होता है कि विकास के चोगे में लुटेरी राजनैतिक पार्टियाँ और विदेशी कम्पनियाँ सिर्फ बंदर बाँट के सिद्धान्त पर अपने घर ही भरती हैं और जाने अंजाने आप के ही पैसे से आपको मारने का काम चलता है आपके सामने जिसको आप एक गुलाम की तरह सहन लेते हैं..जबकि ये सब तो अंग्रेजों के जमाने में होता था ।
इसी लिए मेरा मानना है कि कभी तो कोई सही राह दिखाने वाला चाहिए ही होगा... कभी तो निस्वार्थ भाव से इस अच्छा न दिखने वाले भारत को खड़ा करने वाला चाहिए ही होगा... जिसको आम आदमी के दर्द का और भारत की समस्याओं की गहरी समझ हो.. जिसको आपकी हर समस्या की गंभीरता का अंदाज़ा हो...
ज़रूरी नहीं की जिस दिन भारत Somalia बन जाएगा उसी दिन आप जागेंगे और ढूंदेंगे उस इंसान को ईमानदारी से आपको आपकी सभी समस्याओं का समाधान बताए...

माना हमारे बीच आज वो इंसान नहीं है जो इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने में आपका साथ दे लेकिन हम सब इतने भी कमनसीब नहीं.. क्युंकि हमारे पास उस इंसान के विचार तो हैं...इस इंसान का एक एक व्याख्यान लगभग 25000 दस्तावेज़ो का निचोड़ है.. ये वो इंसान है जो तर्क-तथ्य-प्रमाण की कसौटी पर खरा चिंतन करते हुए 25 साल तक टिका रहा... लेकिन आप तक इसकी आवाज़ नहीं पहुंचाई गयी..कारण है दोगला INDIAN मीडिया..



आप समाज के जिस भी वर्ग के हिस्से हैं, जितने भी पैसे वाले हैं इससे फरक नहीं पढ़ता.. अगर सो कर जीयेंगे तो आपको गुलाम बनने से कोई नहीं रोक सकता..इसलिए अगर चाहते हैं कि आपकी आने वाली पीढ़ी 520 साल पुरानी गुलामी में न जीए और आधुनिकरण के नाम पर अश्लीलिकरण को अपना आदर्श न मानले तो आपसे मेरी विनम्र विनती(HUMBLE REQUEST) है कि हर महीने के 720 घंटो में से केवल 4 घंटे ही दिजीए इन व्याख्यानों को सुनने के लिए और अपने साथ अपने भाई बंधुओं को भी सुनाये..
...क्योंकि हमारे वेदो और उपनिषदों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने दुख दूर करता है और दूसरों के दुखो को दूर करने के काम में लगता है मोक्ष उसी को होता है..
आप सुने तो बहुत अच्छा.... अगर नहीं सुनते तो आपकी आने वाली पीढ़ी तो ज़रूर सुनेगी क्योंकि उनको ऐसी गुलामी उनकी बर्दाश्त से बाहर होगी और इसलि ए शायद आपको गालियां देगी आपकी निष्क्रियता और पाखंड के लिए ।
घर बैठ कर बिना एक पैसा खर्चे अपने देश को बचाए रखने की इस लढाई में एक शहीद के व्याख्यान सुनने से ज़्यादा आसान योगदान हमारी तरफ से और कुछ नहीं हो सकता ।
अगर मैं अतिश्योंक्ति(exaggerate) न करूँ तो अगर मोक्ष आपकी demand है तो इन व्याख्यानों को सुने क्योंकि आज के time में राजीव भाई के व्याख्यान सुनना और सुनाने से बढ़ा पुण्य का काम कोई दूसरा हो नहीं सकता...
अमर शहीद राजीव दीक्षित के अधिकतम उपलब्ध व्याख्यानों को नि:शुल्क पाने के लिए लिंक-


  • sdrv.ms/SvnoxH( सभी व्याख्यानों का audio version) 
  • www.rajivdixit.com
  • www.youtube.com/user/TheDhruvsahni
  • http://www.youtube.com/user/SriRajivDixitVideos

श्री राजीव दीक्षित जी- एक परिचय (भाग १)

श्री राजीव भाई का जीवन परिचय-

स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता एवं भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव भाई राजीव दीक्षित जी का जन्म उप्र अलीगढ़ जनपद के अनरौली तहलीस के नाह गांव में तीस नवम्बर 1967 में हुआ । राजीव जी की इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई । राधेश्याम दीक्षित के घर में जन्मे श्री राजीव जी का अधिकांश समय वर्धा में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और नम्रता थी। वे संयमी, सदाचारी ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। वे निरन्तर साधना की जिन्दगी जीते थे। 1999 में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जाग्रति पैदा कर रहे थे.






श्री राजीव भाई के बारे में-

राजीव भाई पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बहुराष्ट्रीय उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे| वे भारत को पुर्नगुलामी से बचाना चाहते थे| वे उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में जन्मे थे| उनकी प्रारम्भिक व माध्यमिक शिक्षा फ़िरोज़ाबाद में हुई उसके बाद 1994 में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहबाद गए| वे सेटेलाइट टेलेकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे लेकिन अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ कर देश को विदेशी कंपनियों की लूट से मुक्त कराने और भारत को स्वदेशी बनाने के आंदोलन में कूद पड़े| शुरू में भगतसिंह, उधमसिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे| बाद में जब गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए|

भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान-

पिछले 20 वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सिखा उसके बारे में लोगों को जागृत किया| अंग्रेज़ भारत क्यों आए थे, उन्होने हमें गुलाम क्यों बनाया, अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता, हमारी शिक्षा और उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया इस पर विस्तार से जानकारी दी ताकि हम पुनः गुलाम न बन सकें| इन 20 वर्षों में राजीव भाई ने लगभग 15000 से अधिक व्याख्यान दिये जिनमे से कुछ हमारे पास उपलब्ध है| आज भारत में 5000 से अधिक विदेशी कंपनियाँ व्यापार करके हमें लूट रही है, उनके खिलाफ राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की| देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| 1991 में डंकल प्रस्तावों के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति की और रेलियाँ निकाली| कोका कोला और पेप्सी जैसे पेयों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की|
1991-92 में राजस्थान के अलवर जिले में केडीया कंपनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में भूमिका निभाई| 1995-96 में टिहरी बांध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहां भयंकर लाठी चार्ज में काफी चोटें आई| उसके बाद 1997 में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात गांधीवादी इतिहासकार श्री धर्मपाल जी के सानिध्य में अंग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जागृत करने का काम किया|

राजीव भाई की शहादत-

स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता, चिंतक, जुझारू, निर्भीक व सत्य को दृढ़ता से रखने के लिए पहचाने जाने वाले भाई राजीव दीक्षित जी 30 नवम्बर 2010 को भिलाई (छत्तीसगढ़) में शहीद हो गए | वे भारत स्वाभिमान और आज के स्वदेशी आंदोलन के पहले शहीद है| राजीव भाई भारत स्वाभिमान यात्रा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे | यह परमात्मा का अजीब संयोग ही कहा जायेगा कि श्री राजीव जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को रात्रि 12:20 पर हुआ था और उनका देहावसान भी 30 नवम्बर 2010 को रात्रि 12 बजे के बाद ही हुआ। 1 दिसम्बर 2010 को अंतिम दर्शन के लिए उनको पतंजलि योगपीठ में रखा गया था| राजीव भाई के अनुज प्रदीप दीक्षित और परम पूज्य स्वामी रामदेव जी ने उन्हे मुखाग्नि दी| परमपूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व आचार्य बालकृष्ण जी ने राजीव भाई के निधन पर गहरा दुःख वयक्त किया है| सम्पूर्ण देश में 1 दिसम्बर को दोपहर 3 बजे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया|

राजीव भाई के नाम ‘ राजीव भवन -

वे सच्चे अर्थों में गांधीवादी थे. उन्होंने मरते दम तक बिना अहंकार, स्वार्थ और स्व लाभ के देश और इसके निवासियों कि सेवा करते हुए अपना जीवन अर्पण कर दिया. उनके अंतिम संस्कार के समय परम पूजनीय स्वामी रामदेव जी ने घोषणा की है कि उनके जन्म दिन ३० नवम्बर को स्वदेशी दिवस के रूप में मनाया जाएगा. साथ ही पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में बन रहे भारत स्वाभिमान भवन का नाम "राजीव भवन" रखा जाएगा.
हालांकि वे अब हमारे बीच नहीं रहे, परन्तु उनका जीवन ही हमारे लिए प्रेरणा बनकर राह दिखाता रहेगा । हमें उनके द्वारा देखे गए स्वप्न के अनुरूप भारत का निर्माण करना है । इसके लिए हमें भारत स्वाभिमान आन्दोलन को और तीव्रता देनी होगी । आज हम संकल्प ले की विदेशी वस्तुओ को त्याग कर स्वदेशी वस्तुओ और स्वदेशी कंपनियो को बढावा देगे । यही हमारी भाई राजीव दीक्षित जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.